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Friday, March 29, 2024

दुर्गा पूजा का इतिहास,महत्व,कहानी, निबंध।Essay on Durga Puja in hindi

 

essay on durga puja in hindi

दुर्गा पूजा पर निबंध। Essay on Durga Puja hindi

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    दुर्गा पूजा एक धार्मिक त्योहार और यह भारत का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। जिसके दौरान देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। दुर्गा पूजा हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विन के महीने में आता है।

    लोगों के लिए यह एक पारंपरिक अवसर है, जो लोगों को भारतीय संस्कृति और रीति-रिवाजों से जोड़ता है। अधिकतर लोग इस पर्व को पूरे पांच, सात या नौ दिन तक मनाते हैं। लोग “षष्ठी” के साथ दुर्गा देवी की मूर्ति की पूजा करना शुरू करते हैं, जो “दशमी” पर समाप्त होती है।

    पूरे दस दिवसीय उत्सव के दौरान विभिन्न रीति-रिवाज, जैसे उपवास, दावत, पूजा आदि का पालन किया जाता है।  लोग अंतिम चार दिनों में मूर्ति विसर्जन और कन्या पूजन भी करते हैं,कन्या पूजन को लोग काफी पवित्र मानते है। जिन्हें सप्तमी, अष्टमी, नवीन और दशमी के नाम से जाना जाता है। लोग मिल जुल कर पूरे उत्साह, आनंद और भक्ति के साथ मां दुर्गा की पूजा करते हैं। 

    यह भारत के कई बड़े-बड़े राज्यो (स्थानों) जैसे पश्चिम बंगाल ,बिहार, मिथला, झारखंड,असम, त्रिपुरा, उड़ीसा, मणिपुर, आदि में मनाया जाता है। कई राज्यो मे दुर्गा पूजा पर पांच दिनों तक स्कूल,कॉलेज ,ऑफिस आदि संस्थानों में अवकाश भी होता है। यह पर्व धार्मिक और सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम है, जिसे हम सब हर साल पूरी श्रद्धा और धूम धाम के साथ मनाते है।  

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    दुर्गा पूजा का इतिहास। History of durga puja in hindi 

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    दुर्गा पूजा का इतिहास हजारों साल पुराना है और उतना ही प्रचलित है।भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक दुर्गा पूजा यानी नवरात्रि का इतिहास कई कड़ियों में बंटा हुआ है, जिसे इन पैराग्राफों के जरिए समझा जाएगा।

    पहला:- ऐसा माना जाता है कि एक असुर राजा महिषासुर नाम का एक राजा रहता था। जो बहुत शक्तिशाली था, इतना शक्तिशाली था कि स्वर्ग के देवी देवता इस राक्षस को हराने मे असमर्थ दिख रहे थे।  देखते-देखते असुर राजा बहुत आक्रामक हो गया था। तभी ब्रह्मा विष्णु और शिव एक साथ महिषासुर के विनाश के लिए एक आंतरिक शक्ति का निर्माण किया जो शक्ति का नाम देवी दुर्गा था। अपने दस हाथों में विभिन्न शस्त्र धारण करके आंतरिक शक्ति दी गई, फिर मां दुर्गा ने 9 दिनों तक महिषासुर से युद्ध किया और दसवीं दिन महिषासुर राक्षस का वध करके विजयी हुई थी। उसी दिन को विजयदशमी दशहरा के रूप में मनाया जाता है।

    दूसरा :- रामायण के अनुसार भगवान राम ने रावण को मारने से पहले मां दुर्गा से शक्ति प्रदान करने के लिए मां चंडी की पूजा की थी। भगवान राम ने दुर्गा पूजा के दसवे दिन रावण का वध किया था। उस दिन को हमसब विजयदशमी के रुप मे मनाते हैं। हम इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में भी मनाते हैं।

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    दुर्गा पूजा की विधि

    दुर्गा पूजा पर्व को लोग निष्ठा से मनाते हैं 10 दिनों तक चलने वाले इस पर्व को हर दिन लोग मां दुर्गा की पूजा को खास नियम के साथ करती है तो आइए जानते हैं पूजा की खास विधि के बारे में:-

    दुर्गा पूजा का यह त्यौहार आश्विन शुक्ल पक्ष से लेकर दशमी तिथि तक मनाते हैं इस दौरान मां दुर्गा की नौ दिनों तक उपवास रखकर  पूजा करते हैं हालांकि लोग अपने अनुसार दिनो तक भी उपवास रखकर पूजा करते हैं। श्रद्धालु दसवीं के दिन देवी दुर्गा की मूर्ति को सुहागन की तरह सजाती है। नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के सामने कुमारी की भी पूजा करती लोग कुमारी पूजन को काफी पवित्र मानते हैं हालांकि भारत का एक राज्य बंगाल है जहां पर दुर्गा पूजा को विभिन्न रूपों में भी की जाती है। विजयदशमी के दिन लोग अपनी पसंद की वस्तुएं अर्पित करती है। उस दिन पूरी रात पूजा, अखंड पाठ और जाप करते हैं फिर देवी की मूर्तियों को सिंगारित करके काफी हर्षोल्लास के साथ झांकी निकालते हैं पूरी धूमधाम के साथ पूरे समाज के चक्कर लगाने के बाद अंत में प्रतिमा को स्वस्थ नदी अथवा तालाब में विसर्जित करते हैं।

    देवी दुर्गा की कहानी और किंवदंतियां। Story and legends of Goddess Durga.

    ऐसा माना जाता है कि एक बार एक राक्षस राजा महिषासुर था, जिसने पहले ही स्वर्ग में देवताओं पर हमला कर दिया था।  वह बहुत शक्तिशाली था, जिसके कारण उसे कोई नहीं हरा सकता था।  तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) द्वारा एक आंतरिक शक्ति बनाई गई, जिसे दुर्गा (दस हाथों वाली एक अद्भुत महिला शक्ति और सभी हाथों में विशेष हथियार रखने वाली) कहा जाता है।  उन्हें महिषासुर राक्षस को नष्ट करने के लिए आंतरिक शक्ति दी गई थी।  अंत में, उन्होंने दसवें दिन राक्षस का वध किया और उस दिन को दशहरा या विजयदशमी के रूप में जाना जाता है।

      दुर्गा पूजा की एक और किंवदंती यह है कि, रामायण के अनुसार, भगवान राम ने रावण को मारने के लिए देवी दुर्गा से आशीर्वाद पाने के लिए चंडी पूजा की थी।  दुर्गा पूजा के दसवें दिन राम ने रावण का वध किया था, तभी से उस दिन को विजयादशमी कहा जाता है। इसलिए दुर्गा पूजा हमेशा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

    एक बार कौस्ता (जो देवदत्त के पुत्र थे ) ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद अपने गुरु वरतंतु को गुरु दक्षिणा देने का फैसला किया।  हालांकि, उन्हें 14 करोड़ सोने के सिक्के (प्रत्येक 14 विज्ञान के लिए एक मुद्रा) का भुगतान करने के लिए कहा गया था।  वह इन्हें प्राप्त करने के लिए राजा रघुराज (राम के पूर्वज) के पास गया, हालांकि, विश्वजीत के त्याग के कारण वह इसे देने में असमर्थ था।  इसलिए, कौस्ता भगवान इंद्र के पास गए और उसके बाद वह फिर से कुबेर (धन के देवता) के पास गए ताकि अयोध्या में “शनु” और “अपती” पेड़ों पर आवश्यक सोने के सिक्कों की बारिश हो सके।  इस प्रकार, कौस्ता को अपने गुरु को अर्पित करने के लिए मुद्राएँ प्राप्त हुईं।  उस घटना को आज भी “अपाति” वृक्ष की पत्तियों को लूटने की परंपरा के माध्यम से याद किया जाता है।  इस दिन लोग इन पत्तों को सोने के सिक्के के रूप में एक दूसरे को देते हैं।

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    दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है।Why Durga Puja is Celebrated

    दुर्गा पूजा इसलिए मनाई जाती है क्योंकि जब महिषासुर नामक राक्षस राजा ने स्वर्ग पर हमला किया, वह इतना शक्तिशाली था कि उसे हराना मुश्किल हो गया था स्वर्ग के देवी-देवताओं को बचाने के लिए ब्रह्मा, विष्णु और शिव द्वारा एक आंतरिक शक्ति का निर्माण किया गया था। जो दस भुजाओं वाली देवी दुर्गा थीं। जिसे आंतरिक शक्ति दी गई थी ताकि वह शक्तिशाली राक्षस राजा महिषासुर का वध कर सके। दोनो के बीच 10 दिन तक युद्ध चला , दसवें दिन देवी दुर्गा ने शक्तिशाली राक्षस महिषासुर का वध कर दिया। रामायण के अनुसार, भगवान राम ने रावण को मारने के लिए देवी दुर्गा से आशीर्वाद पाने के लिए चंडी पूजा की थी। दुर्गा पूजा के दसवें दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था, इसलिए दुर्गा पूजा के दसवें दिन को दशहरा का दिन भी माना जाता है।इस त्योहार को लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में भी मनाते हैं।

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    दुर्गा पूजा पंडाल।Durga puja pandal 

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    दुर्गा पूजा भारतीय त्योहारों का सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय त्योहार है। यह पर्व दस दिनों तक चलता है। यह त्यौहार भारत के लगभग पांच से सात राज्यों में मनाया जाता है। क्यों है ये त्योहार और भी खास? क्योंकि इस पर्व में लोग दुर्गा पूजा के इस पावन पर्व को समुदाय के बीच मिलजुलकर मनाते हैं। एक पंडाल में मां दुर्गा की प्रतिमा की दस दिनों तक पूजते है। पंडालो को बंगाल राज्य सबसे अधिक सक्रिय रूप से भाग लेता है। बंगाल में दुर्गा पूजा पंडाल लाखों की लागत से बेहतरीन कारीगरों द्वारा बनाए जाते हैं। अलग-अलग डिजाइन के साथ यह काफी चर्चा में भी रहती है।

    डांडिया और गरबा का आयोजन। About Dandiya and Garba 

      दुर्गा पूजा यानि नवरात्रि के दौरान भारत में कई जगहों पर मां दुर्गा के सम्मान में कई तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं.  उनमें से लोकप्रिय प्रतियोगिताएं गरबा और डांडिया हैं जो नवरात्रि के दिन आयोजित की जाती हैं।  इस आयोजन में भाग लेने वाले को पुरस्कार भी दिया जाता है।  डांडिया के खेल को खेलने के लिए दो जोड़ियों की आवश्यकता होती है, खेल में खेलने के लिए प्रत्येक खिलाड़ी के दोनों हाथों में एक-एक छड़ी होनी चाहिए।  गरबा डांडिया से थोड़ा अलग है, आपको बता दें कि गरबा एक प्रसिद्ध लोक नृत्य है जो गुजरात के अधिकांश स्थान में खेला जाता है, हालांकि वर्तमान युग में इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई है कि यह अन्य राज्यों में भी देखा जाता है।

    दुर्गा पूजा का महत्व।Impotence of Durga puja in hindi 

    भारत देश में नवरात्रि या दुर्गा पूजा का त्योहार बहुत महत्व है। नवरात्रि का अर्थ है नौ रातें। दसवें दिन को विजयदशमी या दशहरा के नाम से जाना जाता है। यह वह दिन है जिस दिन देवी दुर्गा ने नौ दिनों और नौ रातों के युद्ध के बाद राक्षस पर विजय प्राप्त की थी। लोग शक्ति और आशीर्वाद पाने के लिए देवी दुर्गा की पूजा करते हैं। देवी दुर्गा अपने भक्तों को नकारात्मक ऊर्जा और नकारात्मक विचारों को दूर करने और शांतिपूर्ण जीवन जीने में मदद करती हैं। इस पर्व को दुष्ट रावण पर भगवान राम की जीत के उपलक्ष्य में भी मनाया जाता है। लोग दशहरे की रात रावण के बड़े-बड़े पुतले और पटाखे जलाकर इस त्योहार को मनाते हैं।

    इन्हें भी पढ़ें:-दुर्गा पूजा 2021: नवरात्रि दुर्गा पूजा स्टेटस,कोट्स हिन्दी में।

    दुर्गा पूजा स्टेटस,कोट्स,अनमोल विचार,संदेश।Durga puja Quotes, Anmol Vichar,Slogan Naare, Messages,in hindi

    हम सभी दुर्गा पूजा का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं और पूरे नौ दिनों तक महादेवी दुर्गा की पूजा करते हैं।  यह पवित्र त्योहार समुदाय के बीच एक साथ मनाया जाता है। सोशल मीडिया के इस दौर में हम सभी एक दूसरे को मोबाइल के जरिए मैसेज के रुप मे अनेक तरह-तरह के शुभकामनाएं कोट्स,अनमोल विचार,स्टेटस  संदेश भेजते है। इसी को ध्यान में रखते हुए मैंने इस लेख में कई बेहतरीन संदेश (स्टेटस) कोट्स, अनमोल विचार, जोड़े हैं, हो सकता है कि यह सभी स्टेटस आपके लिए अपने फैमिली या फ्रेंड को भेजने में उपयोगी हो सके।

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    1.आए है आपकी चौखट पे माता इस आस से की हमेशा आपका हाथ हमारे सर पे हो ताकि कोई कष्ट या दुःख हमें न सताए। जय माता की। शुभ दुर्गा पूजा।

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    2.माँ दुर्गा आपको अपनी 9 भुजाओं से बल, बुद्धि, ऐश्वर्या, सुख, स्वास्थ्य, शान्ति, यश, निरभीखता, सम्पन्नता, प्रदान करें। हैप्पी दुर्गा पूजा ।


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    3.सच्चा है माँ का दरबार
    मैया सब पर दया करती समान,
    मैया है मेरी शेरोंवाली
    शान है माँ की बड़ी निराली,दुर्गा अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं


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    4.आया है माँ दुर्गा का त्यौहार,
    माँ आप और आपके परिवार,
    पर सद् अपनी कृपा बनाये रखे
    यही है दुआ,
    हमारी आपको दुर्गा अष्टमी के पावन अवसर पर
    बहुत बहुत बधाई “

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    5.माँ शक्ति का वास हो, संकटों का नाश हो, हर घर में सुख शान्ति का वास हो, नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं। जय माता दी!

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